Priyanka Verma

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लेखनी प्रतियोगिता - जीवन पहेली

जीवन - पहेली


बीत ही जाएगी ये घोर निशा अंधियारी,

क्षितिज पर चमकेगा भोर का सूरज,

उमर भर का सफर है ये, 

निभा लेने में क्या है हरज़?


यहां पतझड़ भी होगा 
तो सावन की फुहार भी,

गर्मी की उमस भी होगी 

तो होगी बसंत बहार भी,


कैसे ना महकेगी बगिया तेरी,

कैसे ना अंगना में खिलखिलाएगी मुस्कुराहटें,


कर समर्पण अपना प्यार, अपना जीवन,

बांध कर रिश्तों की डोरी, 

बांध लो प्यार के बंधन,


धीरे धीरे बढ़ेगा अपनापन, 

तो होगी हर सुबह नई नवेली,

रिश्तों के आपसी तालमेल से,

सुलझ जाएगी जीवन की अबूझ पहेली।।



प्रियंका वर्मा

7/7/22

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7 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 08:41 PM

Great 👍

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Shrishti pandey

08-Jul-2022 04:33 PM

Nice

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Ilyana

08-Jul-2022 08:45 AM

Nice

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